मुम्बई महाराष्ट्र में है और महाराष्ट्र भारत में, इस नाते हमें पुरा हक और अधिकार है कि हम मुम्बई जाये वहाँ काम करें या कितने दिन भी रहें.... किसी के चाचा ने मुम्बई को नहीं बसाया है और न ही उन्होंने भारत को आज़ादी दिलाई है। मैंने बहुत चुन कर शब्दों का इस्तेमाल किया है और मैं नही चाहता कि मेरे शब्दों से किसी को ठेस लगे। वैसे बाल ठाकरे के भतीजे राज ने जो गुंडागर्दी मचाई उसका उत्तर भारतीय भी मुह्तोड़ जवाब दे सकते है। लेकिन हम मराठी नहीं हैं, जो इस तरह की टुच्ची हरकत कर बैठें।
राज राजनीती सीख रहें है, उनके चाचा ने भी केवल इसी मुद्दे पर अपनी राजनितिक रोटियां सेकी है, आख़िर इनका खून तो एक ही है न? तो राज भी उन्हीं के नक्शे कदम पर चल रहें हैं। मराठी अस्मिता को लेकर आंदोलन कर रही राज की पार्टी को देश से को लेना देना नहीं है उनका मकसद केवल महाराष्ट्र की भलाई है, देश से उनका कोई सरोकार नहीं है।
कभी असम में तो कभी कश्मीर से बिहारियों को मार कर या धमका कर भगाया जाता है, क्या कसूर है ? केवल ये की अपने राज्य में पेट न भरने पर इन्हें दुसरे राज्य में जाने की मजबूरी पैदा हुई। क्या चाहते हैं राज ठाकरे की मुम्बई या महाराष्ट्र में कोई न आये वो केवल मराठियों के लिए रिज़र्व रहे। देश के संविधान से ऊपर कोई नही है फिर ये राज ठाकरे कौन होते हैं कि इस बात का फैसला करने वाले की महाराष्ट्र में कोई रहेगा और कौन नहीं। अगर सचमुच महाराष्ट्र में अपना राज कायम करना चाहतें हैं तो अपनी पार्टी की सरकार बना कर दिखा दें। तब पता चलेगा मराठी उन्हें किस लायक समझते हैं। वरना बेहतर यही होगा कि इस मानसिकता को छोड़कर महाराष्ट्र के विकास के लिए आंदोलन करें। विदार्व में मर रहे किसानों के लिए लड़े, मुम्बई में होने वाले अपराधों के लिए लड़े, दिन दहरे लड़कियों की इज्जत से खेलने वालों से लड़े। राज ठाकरे जी कमजोर, मजबूर, ग़रीब को तो कोई भी मार लेता है.....
1 comment:
Dear sandeep,
I can understand ur feelings but you should not say that u r not receprocating b'coz ur not marathi. You are blaming the whole marathi community which is not correct. You can write anything about Raj Thakery or his ideology but not comment on marathi community plz.
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