Wednesday, 12 November 2008

उम्मीदों पर शादियाँ

शादियों का मौसम है...कोई मन से शादी कर रहा है तो कोई मज़बूरी में किसी ने सोचा है की अपनी शादी को ज़िन्दगी भर के लिए यादगार बना दे...किसी चीज़ की कोई कमी न रह जाए...खाना से लेकर सजावट तक...सब चका चक....डीजे न हो तो मज़ा कैसे आएगा....इतना शोर होना चाहिए की पुरे इलाके को पता चल जाए की आज पप्पू की शादी है.....दोस्तों मैं भी मानता हूँ की शादी ज़िन्दगी में एक ही बार होती है....लेकिन क्या ये सही है की इस एक दिन को यादगार बनने के चक्कर में.....केवल एक दिन में लाखों रुपये का वारानायारा कर दिया जाए....शादियाँ अपनी हैसियत दिखने का साधन बन गयी हैं....अगर लड़के की शादी होती है तो सबसे पहले पूछा जाता है की दहेज़ में क्या मिल रहा है....और अगर लड़की की शादी होती है तो पहला सवाल होता है की लड़के वालों के क्या मांग है...बाकि सब बातें बाद में होती हैं....जैसा दहेज़ वैसे लड़की और लड़के होते हैं....दहेज़ से मुझे बचपन से ही नफरत है....शायद ये तीन बहनों के भाई होने के कारण भी है...हाल में मेरे एक दोस्त की सरकारी नौकरी लगी है...मैंने देखा की उसके नियुक्ति पत्र पर साफ़ शब्दों में लिखा था की उसे दहेज़ निरोध शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करना होगा....शायद सभी सरकारी नौकरियों में येसा होता हो लेकिन ये आप और हम बहुत अच्छी तरह जानते हैं की आज दहेज़ के रेट सबसे ज़्यादा किसके हैं....ज़िन्दगी भर की जितनी जमापूंजी है उसे लेकर निकल जाए लड़के ढूंढने......जैसा लड़का वैसा दाम......लेकिन कभी कभी इस सौदे में भी धोखा हो ही जाता है.....इस लिए अगर आप लड़के खरीदने.....माफ़ कीजियेगा ढूढने निकले है तो ज़रा सावधान रहिये.....बाज़ार में जालसाजों की कमी नही है......मेरी लेखनी का उद्देश्य किसी को ठेस पहुचाना नहीं है .....

1 comment:

राजीव करूणानिधि said...

Apni Shadi ke liye pareshan dulhe, kay baat hai...kya likha hai, waise ek baat bata du ki shadi ab aasan nahi rahi...ab aisa waqt aagaya hai jab ladke waale dhibri lekar ladki dhudhenge wo bhi aakarshak dahej de kar, par ladki milna tab bhi aasaan nahi hoga..
waise aapki shadi kab ho rahi hai