Friday 13 July, 2012

महिलाओं पर ज्यादती

गुवाहाटी के जीएस रोड पर 15 से 20 लड़कों ने एक लड़की से करीब आधे घंटे तक छेड़छाड़ की और उसके कपड़े फाड़ डाले। लड़की सड़क पर मदद की गुहार लगाती रही लेकिन उसकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आया। लड़की मिन्नतें करते हुए कहती रही कि मुझे घर जाने दो, तुम्हारी भी बहनें हैं, लेकिन लड़कों ने उसे नहीं बख्शा। कल घटी इस शर्मनाक घटना में पुलिस ने 3 दिन बाद तब कार्रवाई की, जब इस घटना का विडियो यूट्यूब पर अपलोड कर दिया गया। पुलिस ने 4 लड़कों को गिरफ्तार कर लिया है और 11 लड़कों की पहचान कर ली है। 11वीं में पढ़ने वाली लड़की एक पब में अपने दोस्त की बर्थडे पार्टी मनाकर रात में करीब साढ़े नौ बजे लौट रही थी। सड़क पर लड़कों ने उससे छेड़छाड़ शुरू कर दी। लड़की ने विरोध किया तो लड़के उसके बाल नोचने लगे और कपड़े फाड़ने लगे। लड़कों ने उसके साथ करीब आधे घंटे तक बदतमीजी की लेकिन उस लड़की को किसी ने नहीं बचाया। काफी देर बाद पुलिस ने लड़की को उन लड़कों से छुड़ाया। हालांकि पुलिस ने इस पर एफआईआर 3 दिन बाद दर्ज करके कार्रवाई शुरू की। पुलिस 4 लड़कों को गिरफ्तार कर चुकी है।

वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के बागपत के असारा गांव की पंचायत को यही लगता है. इसलिए पंचायत ने महिलाओं के बाजार जाने पर पाबंदी लगा दी गई है. यही नहीं गांव में प्रेम विवाह किया एक भी जोड़ा नहीं रहेगा. जिस राज्य की लड़िकयां ओलंपिक में देश का सिर गर्व से ऊंचा करने गई हैं वहीं के एक गांव की महिलाएं अब उगता सूरज भी नहीं देख पाने को मजबूर हैं. आसरा गांव में कई गांवों की खाप पंचायतों ने मिलकर ये पाबंदी लगाई है. पंचायत को लगता है कि लड़कियों के बाजार निकलने से छेड़खानी की घटनाएं होंगी इसलिए मनचलों पर लगाम लगाने की बजाय महिलाओं को ही कैदखाने में डाल दिया गया. खाप के अजीबोगरीब फैसले यहीं नहीं रुके हैं. उन्होंने गांव से प्रेमविवाह करने वाले जोड़ों को बाहर फेंकने का फैसला कर लिया है. पंचायत के बेतुके फरमानों में लड़कों को सड़क पर मोबाइल का इयरफोन नहीं लगाने को कहा गया है. अगर गांव में कोई इनकी बात नहीं मानेगा तो इन्हें पहले समझाया जाएगा और फिर भी नहीं मानें तो पंचायत फैसला करेगी. अब पुलिस नींद से जागी है और पता लगाने की बात कह रही है. खाप के बेतुके फरमान नए नहीं हैं लेकिन सवाल ये है कि कानून से ऊपर जाकर दिए जा रहे फैसलों पर रोक आखिर कौन लगाएगा. 

आखिर क्या हो गया है इस देश के कानून को हर जगह कानून को ताक पर रख कर कुछ लफ्फंगे किस्म के लोग कानून की धज्जियां उड़ाते रहे हैं। कई जांच आयोग के बाद भी इसका नतीजा कुछ नहीं ​निकलता। ऐसी घटना आये दिन दिल्ली, मुंबई, पुणे या लखनउ, बागपत जैसे जगहों पर होती रहती हैं। लेकिन हमारा समाज ऐसी घटनाओं पर हमेशा पुरूषों का ही पक्ष लेता है। यहां तक कि महिलाएं भी महिलाओं का पक्ष नहीं लेती। उन पर पुरूषवादी मानसिकता सवार है, जिससे वे भी इस प्रकार की घटनाओं का जायजा ठहराती हैं। जब तक इस देश में महिलाएं अपने उपर होने वाली ज्यादतियों को सहती रहेंगी ऐसी घटनाएं नहीं रूकेंगी। अगर सचमुच ऐसी घटनाओं को रोकना है तो महिलाओं को ही आगे आकर हिंसात्मक तरीका अपनाना होगा। मैं महिलाओं को कानून हाथ में लेने के लिए प्रेरित नहीं कर रहा। मेरा कहना बस इतना है कि जब पुरूष अपने हाथ में कानून ले सकते हैं तो महिलाएं क्यों नहीं। 

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