जी हां, कुछ यैसा ही मानते हैं भाजपा और संघ के लोग
मध्य प्रदेश में जिस खास कंडोम को लेकर बवाल मचाया जा रह हैं उसमे खास कहने के लिए एक येसी टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है जिससे कंडोम से नर और नारी को सम्भोग के समय ज़्यादा संतुस्ती मिलेगी हमेशा से राष्ट्रिय संस्कृति के रक्षक कहे जाने वाले लोग कंडोम जम कर विरोध करते नज़र आते है, उनका तर्क होता है कि कंडोम अनैतिक संबंध को बदाबा देता है
क्या पहले कंडोम ना होने से अनैतिक संबंध नही बनते थे? और वे यह क्यों भूल जाते है कि कंडोम का केवल १ उपयोग ही नहीं है देश में तेज़ी से बढते यौन जनित बीमारियों से बचाओ के लिए कंडोम ही एक मात्र कारगर उपाय है
मैं पूछना चाहता हूँ उन धर्मं और संस्कृति के रक्षाको से कि समाज कि अनगिनत बुराइयों को खतम करने कि बजाये वे यैसे मुद्दे को क्यों चुनते हैं जो मामला किसी व्येक्ती का बेहद निजी होता है मैं कंडोम का प्रचार नहीं कर रह हूँ, लेकिन आज समाज जब कन्या भ्रूण हत्या के जरिये रोजाना लाखों कन्याओं को गर्भ में ही मार दिया जा रहा है, दहेज़ के नाम पर कितनी बहुओं को जलाया जा रह है,
तो मेरे प्यारे बंधु पहले आप अपने अन्दर से इन समाज विरोधी गतिविधियों को तो खतम कीजिये अंग्रेजी में एक कहावत है "charity begins at home.... "
मुझे हिंदी कि भी एक कहावत याद आ गयी है, "आप भला तो जग भला"
अगर समाज सेवा का बीड़ा अपने उठाया ही है तो कुछ यैसी समाज सेवा कीजिये कि आपकी जग बड़ाई हो ना कि जग हँसाई :-)
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