हाल ही में दिल्ली के एक सरकारी बालिका विद्यालय की शिक्षिका पर फिल्माए गये एक टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन दिखाया गया कि शिक्षिका लड़कियों को देह व्यापार करने के लिए मजबूर करती है। इसके प्रसारण के बाद बेकाबू भीड़ ने उस शिक्षिका को बुरी तरह पीटा और उसके (महिला) कपड़े भी फाड़ दिए।
अब जब जांच में यह बात सामने आई है कि दरअसल रिपोर्टर ने ही नकली स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम दिया था। अब आप ही बताए इन पत्रकाराें की वजह से ही बेचारे सारे न्यूज़ चैनल वालों को जनता की फजीहत झेलनी पड़ेगी।
हॉ न शर्म की बात कि एक चैनल ने अपनी टीआरपी के लिए बिना सोच समझे एक स्टिंग ऑपरेशन को प्रसारित कर दिया जिसका कोई आधार ही नहीं था। सरकार बेकाबू न्यूज चैनलों के लिए आचारसंहिता लाने जा रही है तो क्या बुरा कर रही है।
आचारसंहिता आने के बाद उन प्रतिभावान और चतुर पत्रकारों पर सरकार लगाम लगाये रखेगी और भुगतना पड़ेगा सभी अन्य पत्रकारों को।
2 comments:
कह तो सही रहे हो भाई मगर इसका क्या करें कि कुछ लोगों ने पत्रकारिता को साबुन बेचने की दुकान बनाकर रख छोड़ा है। तमाम आदर्श सिर्फ किताबों तक ही सिमट कर ही रह गए हैं। क्या इन पर कोई नजर रखने वाला है।
किस हद तक इंसान नीचे गिर सकता है?ये सब ज़ाती दुशमनी निभाने की खातिर किया-धरा जान पडता है.इस रिपोर्टर का क्या गया? दुनिया भर में बे-इज्जत होना पडा उस अध्यापिका को.हम खुद ही गल्त समझ बैठे थे.अब शर्म-सार होने के अलावा और कर भी क्या सकते हैँ?जी तो चाहता है कि ऐसे नपुंसक पत्रकारों का तो सरेआम मुँह काला करके उसी चैनल से लाईव टैलीकास्ट किया जाए (जिसे उसने अपने हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया था)
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