Thursday, 6 September 2007

प्रतिभावान पत्रकार की करतूत

हाल ही में दिल्ली के एक सरकारी बालिका विद्यालय की शिक्षिका पर फिल्माए गये एक टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन दिखाया गया कि शिक्षिका लड़कियों को देह व्यापार करने के लिए मजबूर करती है। इसके प्रसारण के बाद बेकाबू भीड़ ने उस शिक्षिका को बुरी तरह पीटा और उसके (महिला) कपड़े भी फाड़ दिए।

अब जब जांच में यह बात सामने आई है कि दरअसल रिपोर्टर ने ही नकली स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम दिया था। अब आप ही बताए इन पत्रकाराें की वजह से ही बेचारे सारे न्यूज़ चैनल वालों को जनता की फजीहत झेलनी पड़ेगी।

हॉ न शर्म की बात कि एक चैनल ने अपनी टीआरपी के लिए बिना सोच समझे एक स्टिंग ऑपरेशन को प्रसारित कर दिया जिसका कोई आधार ही नहीं था। सरकार बेकाबू न्यूज चैनलों के लिए आचारसंहिता लाने जा रही है तो क्या बुरा कर रही है।

आचारसंहिता आने के बाद उन प्रतिभावान और चतुर पत्रकारों पर सरकार लगाम लगाये रखेगी और भुगतना पड़ेगा सभी अन्य पत्रकारों को।

2 comments:

कृपा शंकर said...

कह तो सही रहे हो भाई मगर इसका क्या करें कि कुछ लोगों ने पत्रकारिता को साबुन बेचने की दुकान बनाकर रख छोड़ा है। तमाम आदर्श सिर्फ किताबों तक ही सिमट कर ही रह गए हैं। क्या इन पर कोई नजर रखने वाला है।

राजीव तनेजा said...

किस हद तक इंसान नीचे गिर सकता है?ये सब ज़ाती दुशमनी निभाने की खातिर किया-धरा जान पडता है.इस रिपोर्टर का क्या गया? दुनिया भर में बे-इज्जत होना पडा उस अध्यापिका को.हम खुद ही गल्त समझ बैठे थे.अब शर्म-सार होने के अलावा और कर भी क्या सकते हैँ?जी तो चाहता है कि ऐसे नपुंसक पत्रकारों का तो सरेआम मुँह काला करके उसी चैनल से लाईव टैलीकास्ट किया जाए (जिसे उसने अपने हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया था)