एक स्टिंग का जहर अभी कम भी नहीं हुआ था कि दूसरा फर्जी स्टिंग सामने आ गया। इस बार तीन लोगों ने झारखंड के सांसदाें के घूसखोरी का पर्दाफाश करने के लिए स्टिंग ऑपरेशन को हथियार बना था लेकिन समस्या यह हो गयी कि वह इस हथियार को गलत जगह उपयोग कर रहे थे और इसी के परिणामस्वरूप वह गिरफ्तार कर लिए गये।
ऑपरेशन दुर्योधन में 11 सांसदों को घूस लेते हुए स्टिंग ऑपरेशन में दिखाया गया था जिसके बाद इन सांसदाेंं को अपने पद को भी छोड़ना पड़ा। सांसदों ने इस स्टिंग ऑपरेशन में दिखाये गये वीडियो को ही नकली बताया लेकिन जांच में सारी बात सामने आ गयी।
स्टिंग को एक हथियार के रूप में उपयोग करने वाले न्यूज चैनलों पर जनता पूरा विश्वास करती है। लेकिन इन्हीं दर्शकों को तब तकलीफ होती है जब उन्हें पता चलता है कि स्टिंग भी झूठे होते हैं या खबरें भी झूठी होती हैं। तो इन स्टिंगों पर से दर्शकों का विश्वास हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।
जनता भी इस स्टिंग के सदा पक्ष में रही है क्योंकि इससे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया जाता रहा है। जब इसी स्टिंग को लोगों को डरा धमका कर पैसों की वसूली कतई सही नहीं है या आप कह सकते हैं यह ब्लैकमेलिंग से कम नहीं माना जा सकता है। चंद लोगों के कारण स्टिंग ने अपना विश्वास ख़त्म कर लिया है।
1 comment:
थोड़ी और गहराई से लिखते तो अच्छा रहता.
Post a Comment