Friday, 25 July 2008

गुरुघंटाल

गुरुघंटाल उन गुरुओं के लिए है जो अहिंसा के पुजारी हैं लेकिन अपने श्रदालुओं को हिंसा से नही रोकते....वो सभी को मीठे वचन बोलने को कहते है लेकिन किसी कारन उन्हें कड़वे वचन बोलने को मजबूर होना पड़ता है। हाल ही में आसाराम बापू के आश्रम के दो बच्चे मरे मिले। बापू ने कहा की अगर मेरे आश्रम के किसी ने ये काम किया है तो मुझे फांसी लगा दो। बापू ने उसकी जांच के बारे में कुछ नही कहा। लोगों के गुस्से को देखते हुए सरकार ने त्रिवेदी जांच आयोग बनाया। इसका रिपोर्ट आने तक बापू की भक्ति में लोग लीन रहेंगे। किसी गुरु के भक्त अपने सवामी के बारे में कुछ नहीं सुनना चाहते। उन्हें तो बाबा की महिमा प्यारी लगती है।
एक और बाबा है जिनके भक्त भी बाबा की महिमा में लीन हैं। बाबा गुरमीत राम रहीम के अनुयायी हिंसा से परहेज नहीं करते। बाबा की शिक्षा हिंसा फैलाने को नहीं रोकती। स्वामी श्रधानंद बाबा तो काफी पहुचे हुए हैं, फिलहाल उनकी मौत की सज़ा को उमर क़ैद में तब्दील कर दिया गया है। बाबा ने अपनी पत्नी को ठिकाने लगा दिया था।
बाबा कोई भी हो उनके अनमोल वचन उनके अनुयायीनों के लिए परमानन्द का आदेश साबित होता है। बाबा के खिलाफ उन्हें को बात पसंद नहीं। बाबा चाहे खुनी हो या डाकू। भक्त उनकी तस्वीर को पूजते हैं। उन्हें भगवान् से कम नहीं मानतें।
इस काम में आस्था, संस्कार और श्रधा जैसे टीवी चैनल आग में घी डालने का काम करते है। इन चैनलों पर आपको तरह तरह के बाबा के दर्शन हो जायेगे। इनकी तादात हजारों में है। कुछ वक्त बाबा के पास गुजारने के बाद इनके भक्त भी परवचन करने लगते है। परवचन केन्द्र कही भी खोले जा सकते है। इन परवचन केन्द्रों पर आने वालों की कोई कमी नहीं है। हर मुहल्ले और गली में परवचन केन्द्र होते है। आपके सुविधा अनुसार आप इस में भाग ले सकते हैं । यहाँ सांसारिक मोह माया को छोड़ने की बात होती है। लेकिन बाबा ख़ुद साल में एक दो बार विदेश यात्रा ज़रूर करते हैं। इनके रहन सहन से राजसी ठाटबाट का अंदाजा लगाया जा सकता है। तमाम स्वामी जी और बाबा जी के भक्तजनों को मेरा ये संदेश भले बुरा लगे लेकिन मैंने जो लिखा वो १०० प्रतिशत सत्य है।

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