Wednesday, 24 September 2008
नफरत के बीज
नफरत फैलाना इनका काम है....ये ख़ुद को देश भक्त बतलाते है. लेकिन काम देश द्रोहियों वाली करते है...किसी के पूजास्थल को नुकसान पहुँचाना कहा तक सही है...माना की मैं आपके भगवान् को नहीं मानता लेकिन इसका ये मतलब नहीं की मैं किसी भगवान् को नही मानता...भारत में सभी को अपने धर्मं और रीतिरिवाज़ को मानने का संवैधानिक अधिकार दिया गया है और जो इस अधिकार को छीनता है...उसे कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए...येदुरप्पा ने नीरो को भूमिका निभायी है...जब रोम जल रहा था तो नीरो चैन की बंसी बजा रहा था...हमारे नवीन पटनायक साहब भी पीछे नही है....उन्होंने भी बजरंगियों को उत्पात मचने से नही रोका.....अब कल को कोई क्रिस्चियन आतंकवादी बन जाए तो उसमे उसका क्या कसूर.....?
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