Monday, 23 February 2009
स्लम की जय हो......
ऑस्कर में भी एक आम आदमी की कहानी ने बाजी मार ली....लोगो को शर्म आ रही है की भारत को ऑस्कर मिला भी तो उसके गरीबों की कहानी पर...भारत में २७ फिसिदी लोग गरीबी रेखा के निचे रहते हैं...इसके अलावा करोडो लोग आज भी सड़क किनारे ज़िन्दगी काट रहे हैं....क्या हम उन्हें नही देखते जो पुलों के निचे सड़क किनारे और फुटपाथ पर ज़िन्दगी बिता रहे है....१००० अरबपतियों वाले इस देश में रोजाना लोग भूख से मर जाते है....माना की भारत तेज़ी से विकास कर रहा है लेकिन इसे भी नही झुठलाया जा सकता की इस विकास की तेज़ रफ़्तार में करोडो लोग पीछे छुट रहे है....सरकार ने उन्हें भी विकास के साथ जोड़ने से लिए तमाम तरह की योजनायों की शुरुआत की है लेकिन इन योजनाओ का फायदा किसे मिल रहा है ये किसी से छुपा नही है.....स्लम डोग हो या स्लम बॉय......बात इतनी है की न स्लम ख़तम होगा न वहां रहने वाले कम होंगे....ऑस्कर अवार्ड केवल हमारी गरीबी और भूखमरी से लिए नही मिला है.....उसमे A R Rahman के संगीत के जादू को भी ऑस्कर दिया गया है....इस फ़िल्म में काम करने वाले कलाकारों के योगदान को नाकारा नही जा सकता.....बहरहाल आप जितनी भी आलोचना करें.....ऑस्कर तो हमने पा ही लिया है......जय हो.....
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1 comment:
भाई मेरे, आंकडे दुरुस्त कर लीजिये. मुद्दा तो सही है पर लिखते वक़्त आप कहीं भटक गए लगते हैं. भारत के लोग नहीं केवल कुछ नाम कमाए लोग ही इस फिल्म, माफ़ कीजिये फिल्म के टाइटल का विरोध कर रहे थे. वो उनकी खुन्नस का नतीजा था, भारतियों की आवाज़ नहीं. हिंदुस्तान के लोग अपनी औकात समझते हैं और इसे ज़ाहिर करने से घबराते नहीं.
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