मैं बाल विकास और महिला कल्याण मंत्री श्रीमती रेणुका चौधरी का ध्यान इस खबर को ओर दिलाना चाहता हु..... बी बी सी की एक खबर.....एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सिर्फ़ एक वर्ष के भीतर एक लाख से ज़्यादा युवतियों की मौत आग लगने से हुई है जो दुनिया में सबसे ज़्यादा है.आग लगने के कारण मरने वाली ज़्यादातर महिलाओं की उम्र 15 से 34 वर्ष के बीच पाई गई. इनमें से कई मामलों के तार घरेलू हिंसा से जुड़े हुए हैं. ब्रितानी चिकित्सा पत्रिका लांसेट ने यह रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में आग लगने से महिलाओं के मरने की संभावना पुरुषों के मुक़ाबले तीन गुना ज़्यादा है. अगर आप स्त्री या पुरुष हैं तो आपको इस खबर पर गौर करना होगा....घरेलू हिंसा का भी इसमें योगदान है और ख़ास कर दहेज उत्पीड़न की समस्या भी इस तरह युवतियों की मौतों के लिए ज़िम्मेदार है.
रिपोर्ट कहती है कि इस तरह के ज़्यादातार मामलों में महिला को केरोसिन तेल का इस्तेमाल कर जला दिया जाता है और इसे रसोई घर में हुई दुर्घटना के रुप में तब्दील कर दिया जाता है.....सरकार मिटटी के तेल पर रियायत दे रही लेकिन इस उपयोग खाना बनाने से ज्यादा महिलायों को जलने में हो रहा है.....मृतकों के रिकॉर्ड, ग्रामीण इलाक़ो में सरकारी प्रश्नावलि और जनगणना के आँकड़ों के आधार पर वर्ष 2001 के लिए रिपोर्ट तैयार की गई है. उस साल एक लाख 63 हज़ार लोगों की मौत आग लगने के कारण हुई. इनमें से एक लाख छह हज़ार यानी 65 फ़ीसदी महिलाएँ थीं. ये आँकड़ा पुलिस के आँकड़ों से छह गुना ज़्यादा है.कहाँ हैं....हमारी पुलिस और सरकार......जिस देश की राष्ट्रपति एक महिला हो उस देश में ही महिलायों पर इतना अत्याचार....पिछले दिनों जब मंग्लुरु के एक पब में कुछ महिलायों को पीटा गया था तो सारे देश में इस घटना के विरोध में बुलंद आवाज़ उठी थी.....और इस बार जब एक लाख महिलायों की जाने गयी तो ये खामोशी क्यों छाई है....क्या इसलिए को ये महिलाये उस तबके से नहीं आती हैं..?
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