
रिपोर्ट कहती है कि इस तरह के ज़्यादातार मामलों में महिला को केरोसिन तेल का इस्तेमाल कर जला दिया जाता है और इसे रसोई घर में हुई दुर्घटना के रुप में तब्दील कर दिया जाता है.....सरकार मिटटी के तेल पर रियायत दे रही लेकिन इस उपयोग खाना बनाने से ज्यादा महिलायों को जलने में हो रहा है.....मृतकों के रिकॉर्ड, ग्रामीण इलाक़ो में सरकारी प्रश्नावलि और जनगणना के आँकड़ों के आधार पर वर्ष 2001 के लिए रिपोर्ट तैयार की गई है. उस साल एक लाख 63 हज़ार लोगों की मौत आग लगने के कारण हुई. इनमें से एक लाख छह हज़ार यानी 65 फ़ीसदी महिलाएँ थीं. ये आँकड़ा पुलिस के आँकड़ों से छह गुना ज़्यादा है.कहाँ हैं....हमारी पुलिस और सरकार......जिस देश की राष्ट्रपति एक महिला हो उस देश में ही महिलायों पर इतना अत्याचार....पिछले दिनों जब मंग्लुरु के एक पब में कुछ महिलायों को पीटा गया था तो सारे देश में इस घटना के विरोध में बुलंद आवाज़ उठी थी.....और इस बार जब एक लाख महिलायों की जाने गयी तो ये खामोशी क्यों छाई है....क्या इसलिए को ये महिलाये उस तबके से नहीं आती हैं..?
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