Tuesday, 23 June 2009

नक्सली कौन?

बहुत दिनों से सोच रहा था की क्या लिखूं....फिर मैंने सोच लिया कि क्यूँ न जिस काम को मैं करता हूँ उसी के बारे के कुछ लिखूं....पिछले २ सालों से नक्सालियों से मेरा नाता है....मैं नक्सली नही हूँ.....नक्सालियों पर लिख और पढता रहता हूँ...वो भी शायद इसलिए क्योकि यही मेरा काम है....चलिए वक्त को बचाते हूँ...मैं अपनी बात शुरू करता हूँ.....मेरी नज़र के नक्सली वो हैं जो किसी न किसी प्रकार से सताए हुए है....कारण जो भी रहा हो....लेकिन जहाँ कही शोषण या अत्याचार होता है वो विद्रोह कि चिंगारी भी उठी है.....पश्चिम बंगाल के जो कुछ हो रहा है वो तो सिर्फ़ एक बानगी है....नक्सालियों के बारे के मैंने कोई विशेषज्ञता हासिल नही कि है लेकिन आम लोगो से कुछ ज़्यादा ज़रूर जान गया हूँ.....
गरीबी के अपनी ज़िन्दगी काट रहे लोग क्यों सरकार के ख़िलाफ़ बन्दूक थाम लेते है....इसे समझने के लिए आपको उनकी तरह बन कर सोचना होगा.....सरकार गरीबी और बेरोज़गारी खतम करने कि पुरी कोशिश कर रही है लेकिन ये दिनों दिन और भयानक होती जा रही है.....इसका कारण हम आप सभी जानते है....रोजाना छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के अर्द्धसैनिक बलों के जवान नक्सली के हांथों मरे जाते है......और जो बच जाते है वो मलेरिया या लू कि चपेटे में आ कर अपने प्राण त्याग देते हैं.....क्या अब सरकार नक्सालियों का खत्म लिट्टे की तरह करेगी.....लेकिन इतना याद रखना होगा कि लिट्टे ने अपने साथ १ लाख लोगो कि बलि ले ली.....क्या सरकार इसके लिए तैयार है.....नक्सलियों के साथ आर पार कि लड़ाई से बेहतर है कि हम अपनी घरेलू समस्या को घर में बातचीत से ही सुलझा ले....वरना एक दिन ये समस्या बहुत गंभीर हो जायेगी.....पश्चिम बंगाल इसका उद्धरण है....

1 comment:

सुमन्त मिश्र ‘कात्यायन’ said...

क्या करना चाहिये? माओवादियों की सरकार बनवा देनी चाहिये? समस्या जनता की है या माओवादियों की? गरीबी क्या रिमोट एरिया में ही है? दूसरे बन्दूक क्यों नहीं उठाते? जितने में हथियार खरीदे जाते हैं वह पैसा उनकी समस्यों को सुलझानें में खर्च नहीं किया जासकता?