धार्मिक विधान के अनुसार ग्रहण के दौरान समस्त धार्मिक एवं दैनिक क्रियाएं वर्जित मानी गई है। ज्योतिषविदें ने ग्रहणकाल को अलग-अलग राशि के जातकों के लिए शुभ-अशुभ फलदायी बताया है। ज्योतिषों के अनुसार ग्रहण काल मेष, सिंह, कन्या, कर्क व धनु राशि के जातकों के लिए शुभफलदायी तथा मिथुन, तुला व मकर राशि वालों के लिए मध्य फलकारी है। वैज्ञानिकों के अनुसार चंद्रमा एक प्रकार का प्राकृतिक छाता है जिसकी छाया चौबीस घंटे अंतरिक्ष में कहीं न कहीं पड़ती रहती है। सूर्य ग्रहण की स्थिति में चंद्रमा की छाया ही पृथ्वी पर पड़ती है।
खगोल प्रेमियों के अनुसार यह सदी का सबसे लंबा सूर्यग्रहण होगा। भारत के पश्चिमी क्षेत्रों में तो सूर्य का उदय ग्रहण के साथ ही होगा। खगोल वैज्ञानिकों ने बताया कि जैसे-जैसे ग्रहण का आकार बढ़ता जाएगा वैसे-वैसे धरती पर सूर्य की रोशनी कम होती जाएगी। पूर्ण सूर्यग्रहण वाले क्षेत्रों में तो कमोबेश रात जैसा अंधेरा छा जाएगा। भारत में अगला सूर्य ग्रहण 25 वर्ष बाद अर्थात वर्ष 2034 को पड़ेगा जो जम्मू-कश्मीर से होकर गुजरेगा। सूर्य ग्रहण के दौरान पृथ्वी पर पड़ने वाली छाया का शुभ-अशुभ कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि ग्रहण काल अलौकिक और प्राकृतिक नजारा है जिसका सुरक्षित विधि से आनंद लिया जा सकता है।
ग्रहण लगने के कुछ समय पहले और बाद का नजारा काफी मनोहारी होगा। चंद्रमा की काली डिस्क धीरे-धीरे सूर्य को ढकना शुरू करेगी जिससे पृथ्वी पर अंधेरा छाने लगेगा। एक स्थिति ऐसी आएगी जब सूर्य का एक छोटा किनारा ग्रहण से बचा रह जाएगा ऐसे में धरती पर काली-सफेद रेखाएं भागती हुए नजर आएंगी। इन्हें शैडो बैंड कहा जाता है। उन्होंने बताया कि चंद्रमा जब पूरी तरह सूर्य को ढक लेगा तब उसकी ऊबड़-खाबड़ व खुरदुरी सतह के कारण धरती पर सूर्य का प्रकाश ऐसा प्रतीत होगा जैसे लाल रंग की मोतियों की माला धरती पर बिखर गई हो।
खगोल प्रेमियों के अनुसार यह सदी का सबसे लंबा सूर्यग्रहण होगा। भारत के पश्चिमी क्षेत्रों में तो सूर्य का उदय ग्रहण के साथ ही होगा। खगोल वैज्ञानिकों ने बताया कि जैसे-जैसे ग्रहण का आकार बढ़ता जाएगा वैसे-वैसे धरती पर सूर्य की रोशनी कम होती जाएगी। पूर्ण सूर्यग्रहण वाले क्षेत्रों में तो कमोबेश रात जैसा अंधेरा छा जाएगा। भारत में अगला सूर्य ग्रहण 25 वर्ष बाद अर्थात वर्ष 2034 को पड़ेगा जो जम्मू-कश्मीर से होकर गुजरेगा। सूर्य ग्रहण के दौरान पृथ्वी पर पड़ने वाली छाया का शुभ-अशुभ कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि ग्रहण काल अलौकिक और प्राकृतिक नजारा है जिसका सुरक्षित विधि से आनंद लिया जा सकता है।
ग्रहण लगने के कुछ समय पहले और बाद का नजारा काफी मनोहारी होगा। चंद्रमा की काली डिस्क धीरे-धीरे सूर्य को ढकना शुरू करेगी जिससे पृथ्वी पर अंधेरा छाने लगेगा। एक स्थिति ऐसी आएगी जब सूर्य का एक छोटा किनारा ग्रहण से बचा रह जाएगा ऐसे में धरती पर काली-सफेद रेखाएं भागती हुए नजर आएंगी। इन्हें शैडो बैंड कहा जाता है। उन्होंने बताया कि चंद्रमा जब पूरी तरह सूर्य को ढक लेगा तब उसकी ऊबड़-खाबड़ व खुरदुरी सतह के कारण धरती पर सूर्य का प्रकाश ऐसा प्रतीत होगा जैसे लाल रंग की मोतियों की माला धरती पर बिखर गई हो।
मेरी आप सभी से गुजारिश है की ग्रहण का भरपूर मज़ा ले लेकिन सावधानी के साथ......बहरहाल आपको इस सदी का पहला सूर्य ग्रहण मुबारक हो.....
1 comment:
shabaash bahut badiya likha hai. hum aapse yeh hi umeed karte hai ki aapke blog par har roj kuch naya or accha padne ko mile.
really.
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