बाकी जो बचा था उसे मंहगाई मार गयी.....मंहगाई पर गाना भी है। जब मंहगाई बढ़ जाए तो इसे गुनगुनाया जा सकता है। मुझे ज़्यादा सब्जी खरीदना पसंद है। लेकिन मंहगाई ने मेरी पसंद को बदल दिया। मुझे तो लगता है की सरकार ६ ठा वेतन आयोग की शिफरिशों को इसीलिए लागु करने जा रही है की केन्द्र सरकार के कर्मचरियों को मंहगाई की मार का कोई असर नहीं हो। मुद्रास्फीति जैसे भारी भरकम शब्द से तो बस इतना समझा जा सकता है की पहले जहा मुट्ठी भर पैसों में एक थैली सब्जी होती थी वही आज आपको एक थैली सब्जी लेने के लिए सोचना पड़ेगा। इस समय मुद्रास्फ़ीति की दर 13 माह के सर्वोच्च स्तर 6.68 प्रतिशत पर है.
कुछ महीने पहले तक यह दर चार फ़ीसदी के आसपास थी लेकिन 15 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में यह 0।76 फ़ीसदी की बढ़त के साथ 6.68 तक पहुँच गई. अब तो इस मंहगाई ने कमर ही तोड़ दी है। इस दौरान सब्ज़ियों की क़ीमतों में 2.5 फ़ीसदी का इजाफ़ा हुआ है जबकि निर्मित उत्पादों के दाम भी 0.9 फ़ीसदी ऊपर चले गए हैं. लेकिन अभी भी घटा सह कर या बिना घटा सहे रिलायंस, सिक्स टेन और सुभिक्षा अपनी सब्जियां सस्ती बेच रही है। ज़ाहिर वे समाज सेवा नही कर रहे है।
कुछ महीने पहले तक यह दर चार फ़ीसदी के आसपास थी लेकिन 15 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में यह 0।76 फ़ीसदी की बढ़त के साथ 6.68 तक पहुँच गई. अब तो इस मंहगाई ने कमर ही तोड़ दी है। इस दौरान सब्ज़ियों की क़ीमतों में 2.5 फ़ीसदी का इजाफ़ा हुआ है जबकि निर्मित उत्पादों के दाम भी 0.9 फ़ीसदी ऊपर चले गए हैं. लेकिन अभी भी घटा सह कर या बिना घटा सहे रिलायंस, सिक्स टेन और सुभिक्षा अपनी सब्जियां सस्ती बेच रही है। ज़ाहिर वे समाज सेवा नही कर रहे है।
वाम पंथियों ने सरकार को ये धमकी दी है की अगर १५ अप्रिल तक बढ़ी दरे कम नही होगी तो वे देश्वापी आन्दोलन शुरू करेंगे। वामपंथियों की बैसाखी पर चल रही संप्रग सरकार कुछ न कुछ तो ज़रुर करेगी। ये हम जैसे लोगों की उम्मीद है। ज़ाहिर है इसके अलावे हम कर भी क्या सकते है चुनाव तो अभी दूर है न।
1 comment:
इस मंहगाई ने कमर ही तोड़ दी है-कब तक ऐसे ही चलता रहेगा?
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